Aghori Ka Rahasya Jis Per Aapko Yakin Nahin Hoga
शरीर पर भस्म, हाथ में इंसानी खोपड़ी, नग्न शरीर, गुस्सैल मिजाज, धूनी रमाये, गहरी साधना में लीन जीवन के सत्य को खोजने वाले अघोरी होते है । इनकी दुनिया बेहद ज्यादा रहस्यों और अंधकार से भरी है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते है । आज भी लोग इनके बारे में कहीं सुनी बातों पर यकीन करते हैं लेकिन इनकी सच्चाई से अनजान है । अघोरी को अघोड नाम से भी जाना जाता है अघोरी का मतलब होता है जो घोर नहीं होते । अघोरी सीधे और सरल स्वभाव के होते हैं इनके अंदर कोई भेदभाव की भावना नहीं होती है अघोरी अपनी कठिन साधना और तपस्या करने के बाद हमेशा के लिए हिमालय चले जाते हैं । यह कुंभ के मेले और श्मशान में रात के समय ही दिखते हैं अघोरी कभी किसी से पैसे या कोई भी चीज नहीं मांगते हैं । अघोरी बनने के लिए बेहद ही विचित्र और कठिन परीक्षा देनी होती है वैसे तो साधुओं के लिए मांस, मदिरा और शारीरिक संबंध जैसी चीजें पूरी तरह मना होती है लेकिन अघोरी बनने के बाद लाश पर पूजा, मांस खाना और मदिरा का पीना जरूरी होता है । इनकी जीवनशैली में बस साधना ही है इनके हर कार्य के पीछे बेहद गहरा मतलब होता है सभी अघोरी भस्म लगाए रखते हैं और गले में इंसान या हड्डियों की माला बनाकर पहनते हैं क्योंकि भस्म संसार और मोह माया को छोड़ने का प्रतीक है इसे शिव से जुड़ने का प्रतीक भी कहते हैं । मांस और हड्डियों के पहनने की बात करें तो संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है अघोरी इंसानी खोपड़ी में ही मदिरा सेवन और खाना-पीना करते हैं । हिंदू धर्म के अनुसार एक बार शिव जी ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था उनका सिर लेकर उन्होंने पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाया था यही वजह है कि अघोरी हमेशा इंसानी खोपड़ी अपने साथ रखते हैं । यह गाय के मांस को छोड़कर सभी प्राणी और इंसान के मांस को भी खाते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि वह किसी में भेदभाव नहीं करते और किसी सीमा में बंधकर नहीं रहते । ज्यादातर अघोरी शमशान में पाए जाते हैं जो देर रात तक ध्यान में मगन रहते हैं वह श्मशान को भगवान शिव का ही स्वरूप समझते हैं । शमशान का अर्थ होता है जहां सब की शान बराबर हो जाती है शमशान एक ऐसी जगह है जहां राजा, रंक, चोर और भिखारी सभी एक समान होते हैं । अघोरी भी सभी को समान रूप से देखते हैं अघोरियों के बारे में यह भी कहां जाता है कि यह तंत्र मंत्र से शक्ति प्राप्त करते हैं और आत्माओं से बातें भी करते हैं । गुप्त ध्यान और पूजा विधि द्वारा काली शक्तियों को भी प्राप्त करते हैं यह मृत लोगों से बात भी कर सकते हैं । अघोरी बेहद जिददी होते हैं और लोगों से बात नहीं करते इनके आशीर्वाद और शाप से लोगों की जिंदगी बदल जाती है । अघोर विद्या से आपको पता चलता है कि दुनिया में कुछ सत्य है तो वह शिव जी हैं शमशान में कुछ रात बिताने के बाद यह वापस हिमालय चले जाते हैं । अघोरी शैव संप्रदाय के तपस्वी हिंदू भिक्षु हैं जो शिव के भैरव रूप की पूजा करते हैं । हिंदू शास्त्र के अनुसार भगवान शिव ने खुद अघोर पंथ की स्थापना की थी दत्तात्रेय को भी अघोर शास्त्र का गुरु माना जाता है संत के रूप में बाबा कीनाराम की पूजा की जाती है इन्हें भगवान शंकर का रूप माना जाता हैं । अघोर संप्रदाय के अनुसार शिव को संपूर्ण माना जाता है शरीर और मन को साधकर जीवन की अच्छी-बुरी स्थितियों का अनुभव करकर मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है । अघोर संप्रदाय का एक विशेष महत्व है लेकिन इनकी 3 शाखाएं काफी विख्यात है इन्हें औघड़, सरभंगी और घुरे नाम से जाना जाता है इन सभी में एक समानता है यह इंसानी रूप में दूसरी दुनिया से संपर्क रखते हैं । इनका मूल सिद्धांत है कि हर व्यक्ति अघोर के रूप में पैदा होता है जैसे नन्हे बच्चें को अपनी गंदगी और भोजन में कोई अंतर नहीं दिखता वैसे ही अघोरी गंदगी, अच्छाई-बुराई, प्रेम-नफरत, सौगंध- दुर्गंध हटाकर शुन्य की स्थिति प्राप्त कर लेता है । अघोरियों की साधना में शव साधना, शमशान साधना और शिव साधना आती है ।
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