वैष्णो देवी का रहस्य Mystery Of Vaishno Devi In Hindi


Vaishno Devi Yatra 2021
Vaishno Devi Yatra 2021

Vaishno Devi Gufa Ka Rahasya Jane Se Pahle Jarur Janne

वैष्णो देवी मंदिर शक्ति को समर्पित पवित्रम हिंदू मंदिरों में से एक है जो भारत के जम्मू और कश्मीर में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है । यहां वैष्णो देवी जी की पूजा होती है वैष्णो देवी को माता रानी और वैष्णवी के नाम से भी जाना जाता है । यह मंदिर जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर के समीप स्थित है ।

यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है । मंदिर 5200 फीट की ऊंचाई पर कटरा से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है हर वर्ष लाखों तीर्थयात्री इस मंदिर का दर्शन करते हैं ।

इस बात का रखें ध्यान

यह भारत में तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखे जाने वाला तीर्थस्थल है इस मंदिर की देख - रेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल द्वारा की जाती है । यहां जाने वाले श्रद्धालुओं को 'भैरों मंदिर' के दर्शन करना जरूरी है कहां जाता है जो भैरों मंदिर के दर्शन नहीं करता उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है आज इसके पीछे की कहानी को हम आपको बताएंगे ।


 माता वैष्णो देवी की कहानी 

Vaishno Devi Yatra 2021
Vaishno Devi Yatra 2021

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार माता वैष्णो देवी के परमभक्त श्रीधर ने नवरात्रि पूजन के लिए कन्याओं को बुलाया माता भी कन्या रूप में वहां पहुँची । माता ने श्रीधर से गांव के सभी लोगों को भंडारे का निमंत्रण देने को कहा । कन्या ने सभी को भोजन परोसना शुरू किया भैरवनाथ मांस मदिरा की जिद करने लगा कई बार समझाने पर भैरवनाथ क्रोध में आ गया और कन्या को पकड़ने का प्रयास किया तब माता वहां से चली गई ।

माता वैष्णो देवी की गुफा 

माता ने हनुमान जी से कहा तुम भैरों के साथ खेलो मैं इस गुफा में नौ माह तक आराम करूंगी । तब मातारानी ने नौ महीने तक इस गुफा में तपस्या की फिर उसके बाद भैरवनाथ का वध किया । जिस प्रकार एक शिशु नौ माह तक अपनी माँ के गर्भ में रहता है उसी प्रकार माता भी नौ माह तक इस गुफा में रही इसलिए इस गुफा को 'गर्भजून' के नाम से जाना जाता है और इस स्थान को 'अर्धकुंवारी' कहते है ।

जिस स्थान पर माता ने भैरवनाथ का वध किया वह स्थान 'भवन' के नाम से प्रसिद्ध है ।


वैष्णो देवी भैरवनाथ की कहानी

Vaishno Devi Yatra 2021
Vaishno Devi Yatra 2021


भैरवनाथ का वध करने पर उसका शीश भवन से तीन किलोमीटर दूर जिस स्थान पर गिरा आज उस स्थान को 'भैरों मंदिर' के नाम से जाना जाता है । कहा जाता है कि अपने वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने माता से क्षमादान की भीख मांगी । तब वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को वरदान देते हुए कहा कि "मेरे दर्शन तब तक अधूरे माने जाएंगे जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा" इसलिए जो श्रद्धालु भैरव मंदिर के दर्शन नहीं करते उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती है ।

माता वैष्णो देवी का भवन 

Vaishno Devi Yatra 2021
Vaishno Devi Yatra 2021

भैरवनाथ को मोक्ष दान देने के बाद वैष्णो देवी ने तीन पिंड (सिर) सहित एक चट्टान का आकार ग्रहण किया और सदा के लिए ध्यानमग्न हो गईं। इस स्थान पर देवी काली(दांए), सरस्वती(बाएं) और लक्ष्मी(मध्य) पिंडी के रूप में गुफा में विराजमान है इन तीनों पिंडीयो के इस सम्मिलित रूप को ही वैष्णो देवी का रूप कहां जाता है और इस जगह को वैष्णो देवी भवन के नाम से जाना जाता है ।

भक्त श्रीधर की श्रद्धा

इस बीच पंडित श्रीधर भी अधीर हो गए। उन्हें सपने में त्रिकुटा पर्वत दिखाई दिया और साथ ही माता की तीन पिंडियां भी, जिनकी खोज करते हुए वह पहाड़ी पर जा पहुंचे। फिर पंडित श्रीधर ने कई तरह से माता को प्रसन्न करने का प्रयास किया तब देवी उनकी पूजा से प्रसन्न हुई वे उनके सामने प्रकट हुई और आशीर्वाद दिया तब से श्रीधर और उनके वंशज मां वैष्णो देवी की पूजा करते आ रहे हैं ।

मनोकामनाएं पूर्ण करती है माता

यह माता का सच्चा दरबार है । भक्तों में यह मान्यता बेहद प्रचलित है कि जो कोई भी सच्चे दिल से माता के दर्शन करने आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । लोगों का यह भी मानना है कि जब तक माता ना चाहे कोई भी उनके दरबार में हाज़िरी नहीं भर सकता ।
आज भी साल भर वैष्णो देवी के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है ।

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