यक्षिणी की सच्ची कहानी | Yakshini Story In Hindi

 

Yakshini Ki Sachi Kahani
Yakshini Ki Sachi Kahani

Yakshini Ki Sachi Kahani Jankar Aapko Bhi Yakin Nahin Hoga


आप सभी ने यक्षिणी के बारे में सुना ही होगा यह दिखने में बहुत ज्यादा खूबसूरत होती है इसके पास पारलौकिक शक्तियां शक्तियां होती हैं । यह किसी भी इंसान को बुलंदियों पर ले जा सकती है लेकिन इसकी साधना बेहद कठिन होती है । हर कोई यक्षिणी को सिद्ध नहीं कर सकता । एक बार एक व्यक्ति ने यक्षिणी को सिद्ध करने की कोशिश की थी, आज उसके बारे में हम आपको बताएंगे । सूर्यकांत ने रात को जाकर एक पेड़ के नीचे अपनी साधना शुरू की एक सप्ताह बीत गया लेकिन कुछ नहीं हो रहा था फिर वह साधना करने नहीं गया । जब वह सो रहा था तो कई उसे उठाकर बेड पर पटक देता है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है अगली रात को उसे एक औरत दिखाई देती है । फिर सूर्यकांत को गलती का एहसास होता है वह फिर शमशान में साधना के लिए चला जाता है कुछ दिन बाद उसे एक औरत की आवाज सुनाई दी जो उसे जाने के लिए कह रही थी । उसे व्यक्ति को जुआ खेलने की आदत थी हारने के बाद उसने उधार लेकर जुआ खेलना शुरू किया । उधार देने वाले उसे धमकी देने लगे, वह अपने पैसे मांग रहे थे । फिर उसे लाइब्रेरी में एक किताब मिली तो उसने यक्षिणी साधना करने का फैसला किया । कई दिनों बाद यकीन उसके सामने प्रकट हुई उसके आने से वहां काफी रोशनी हो गई, सूर्यकांत ने अपनी आंखें नहीं खोली । फिर यक्षिणी ने कहां सूर्यकांत अपनी आंखें खोलो मैं आ गई हूं । उसकी खूबसूरती को देखकर वह चौंक जाता है उसने ऐसी औरत कहीं नहीं देखी थी तब यक्षिणी ने कहां मैं तुम्हारे साथ ही तुम्हारी पत्नी बनकर रहूंगी । आज के बाद तुम किसी दूसरी औरत को देखोगे तो में उसे मार दूंगी । सूर्यकांत जो भी चाहता वह यक्षिणी उसे दे देती अब वह इन सब चीजों से खुश नहीं था उसकी एक गर्लफ्रेंड भी थी जो उससे मिलने भी आई थी लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया । उसकी गर्लफ्रेंड को लगा पैसे आने के बाद सूर्यकांत बदल गया है लेकिन अब उसे अपनी गर्लफ्रेंड की बेहद याद आ रही थी उसके साथ बिताया समय याद आने लगा जब वह अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहा था तब यक्षिणी ने उसे रोका और प्यार करने की इच्छा जताई लेकिन सूर्यकांत का मन अब यक्षिणी से पूरी तरह भर गया था । उसने यक्षिणी को अपनी जिंदगी से जाने को कहां और वह किताब पर लिखी बात को भी भूल गया था यक्षिणी को बुलाया जा सकता है लेकिन वापस भेजा नहीं जा सकता । यक्षिणी की बात ना मानने पर वह सब कुछ बर्बाद कर देती है सूर्यकांत को फोन आता है कि उसकी फैक्ट्री में आग लग गई। उसे समझ आ गया यह यक्षिणी को मना करने का परिणाम है । उसे अब फैक्ट्री से लगाव नहीं था उसे नताशा चाहिए थी लेकिन जब वह उसके घर गया तो उसने देखा कि उसकी गर्लफ्रेंड की लाश पंखे से लटकी हुई है गर्लफ्रेंड की मौत के बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ । वह सोच रहा था कि मैंने क्यों इस यक्षिणी को सिद्ध किया, उसे हर जगह यक्षिणी ही दिखाई दे रही थी जो उसे प्यार करने को कह रही थी ।  कल तक अमीर सूर्यकांत आज सड़क पर पड़ा था । किसी ने कुछ दिया तो खा लिया नहीं तो भूखे-प्यासा सड़क पर बैठा रहता । वह घर जाने से घबराता था फिर उसे याद आया जिस किताब से यक्षिणी को बुलाया था उसमें उसे भेजने का तरीका भी जरूर होगा । उसे याद आया उसने वह किताब हवेली में एक बक्से में छुपा रखी है वह डरते हुए घर में पहुंचता है वह धीरे-धीरे किताब की ओर बढ़ता जा रहा था । उसने देखा तहखाने में आग लग गई है वह हाथ में किताब लिए भाग रहा था तभी वह गिर गया फिर वह किताब आग में जल गई । सूर्यकांत इन सब चीजों से परेशान हो गया था वह कार के आगे आकर खुदकुशी करना चाहता था । वह एक कार के आगे आ गया था कर चला रही लड़की ने समय से ब्रेक लगा दिए फिर वह सूर्यकांत को अस्पताल लेकर गई वह लड़की पैरानॉर्मल एक्टिविटीस जानती थी साथ ही वह यक्षिणी के बारे में भी जानती थी । जब सूर्यकांत ने उसे यक्षिणी के बारे में बताया तब उस लड़की ने उसे रामनगर के जंगलों में रहने वाले बाबा के बारे में बताया । वही एक व्यक्ति है जो तुम्हें यक्षिणी से मुक्ति दिला सकता है कहां जाता है उन्होंने यक्षिणी को सिद्ध किया था वह बाबा सिर्फ अमावस की रात को दिखते हैं । अमावस की रात कुछ दिन बाद थी अमावस की रात को सूर्यकांत बाबा से मिलने जंगल की ओर चलने लगा तभी एक चीते ने उसे पर हमला कर दिया उसे यक्षिणी वहां से जाने को कह रही थी तभी उसे जंगल में रोशनी दिखाई दी सिद्ध बाबा वहां पर थे । बाबा ने उसे उसकी गलती बताई यक्षिणी को माता के रूप में प्राप्त किया जाता है उन्होंने बताया एक बार फिर तुम्हें यक्षिणी को सिद्ध करना होगा । अगर वह प्रसन्न हो जाएगी तो तुम्हारी इच्छा पूरी कर देगी । मां रुपी यक्षिणी आशीर्वाद देकर वापस लौट जाएंगी, लेकिन प्रेमिका रूप वाली यक्षिणी तुम्हें परेशान करेगी तुम्हारी साधना पूरी नहीं होने देगी ‌। एक बार फिर उसने साधना शुरू कर दी यक्षिणी उसके आस-पास चिल्लाती और उसे परेशान करती लेकिन वह अपनी साधना जारी रखता है । फिर यक्षिणी अपना सबसे बड़े अस्त्र का इस्तेमाल करती है जिसके बारे में सिद्ध बाबा ने उसे पहले ही बता दिया था वह सूर्यकांत की गोद में बैठ गई और उसके बाद सहवास की इच्छा जताई । मां रुपी यक्षिणी ने उसे दर्शन दिए और कुछ मांगने को कहां सूर्यकांत ने यक्षिणी से मुक्ति मांगी मां रूपी यक्षिणी ने उसकी इच्छा पूरी की और उसे आशीर्वाद देकर वापस लौट गई । इस तरह सूर्यकांत का यक्षिणी से पीछा छूटा ।

 

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