स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य Stambheshwar Mahadev Temple In Gujarat In Hindi

Stambheshwar Mahadev Mandir
Stambheshwar Mahadev Mandir

Stambheshwar Mahadev Mandir Ka Rahasya Dekhne Ke Bad Aap Hairan Rah Jayenge

हमारे देश में कई देवी देवताओं के मंदिर हैं जिनमें सदियों से पूजा की जाती है यह मंदिर अपनी किसी ना किसी खासियत के लिए जाने जाते हैं जिस कारण इन मंदिरों में होने वाले चमत्कार और रहस्यों को देखने के लिए दूर दूर से लोगों की भीड़ उमड़ती है । आज हम आपको ऐसे ही एक खास मंदिर के बारे में बताएंगे क्या आपने कभी किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जो दिन में 2 बार समझ में डूब जाता है शायद आप यकीन ना करें लेकिन एक मंदिर ऐसा है जो समुंद्र की तेज लहरों में अपने आप गायब हो जाता है और कुछ देर बाद फिर से वापस आ जाता है ।
भगवान शिव का यह रूप स्तंभेश्वर महादेव के रूप में जाना जाता है जो गुजरात के भरूच जिले के कविकंबोई में स्थित है कविकंबोई बड़ोदरा शहर से 75 किलोमीटर की दूरी पर है भगवान शिव के इस मंदिर की खोज लगभग 200 साल पहले हुई इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन केवल एक ही बार होते हैं बाकी समय यह मंदिर समुद्र में डूबा रहता है । समुंद्र तट पर दो बार ज्वार भाटा आता है ज्वार भाटे के कारण पानी मंदिर के अंदर पहुंच जाता है इस प्रकार समुंद्र का पानी दिन में दो बार शिवलिंग का जलाभिषेक कर वापस लौट जाता है ऐसा सुबह और शाम को होता है ।

Stambheshwar Mahadev Mandir
Stambheshwar Mahadev Mandir


ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह जलमग्न हो जाता है उस समय वहां किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को पर्चे बांटे जाते हैं जिनपर ज्वार भाटा आने का समय लिखा होता है ताकि उस समय मंदिर में कोई ना रहें । इस मंदिर का जिक्र शिव पुराण मैं रुद्र संहिता के एकादश अध्याय में मिलता है जो इस मंदिर के प्राचीन होने का प्रमाण है स्कंदपुराण में इस मंदिर के निर्माण के बारे में काफी विस्तार से बताया गया है ।
पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर राक्षस ने अपनी कठोर तपस्या से शिव को प्रसन्न कर लिया और अमर होने का वरदान मांगा । इस वरदान को मना कर देने पर तारकासुर ने दूसरा वरदान मांगा कि उसे सिर्फ शिवपुत्र ही मार सके वह भी सिर्फ 6 दिन की आयु का । वरदान मिलते ही उसने आतंक मचाना चालू कर दिया सभी देवता और ऋषि मुनि उसके आतंक से परेशान होकर महादेव की शरण में पहुंचे तब श्वेत पर्वत के पिंड से कार्तिकेय का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का वध किया ।
जब भगवान कार्तिकेय को पता चला कि ताडकासुर उनके पिता का परमभक्त था तो वो अंदर से दुखी हो गए , तब भगवान विष्णु ने उन्हें बताया यहां पर शिवलिंग स्थापित करें और रोज माफी के लिए प्रार्थना करें ।
इस तरह से यह शिवलिंग यहां स्थापित हुआ तब से ही इस मंदिर को स्तंभेश्वर कहते हैं यह मंदिर अरब सागर में बना है और जब जब समुद्र में तेज तूफान आता है तब तब इस मंदिर का शिवलिंग पूर्णता जल में डूब जाता है जिस कारण वो दिखाई नहीं देता । आप भी इस मंदिर को एक बार गुजरात देखने जरूर जाइएगा ।

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