Bhagwan Shiv Ke Sabse Rahsyamay Mandir Jinhen Dekhne Ke Bad Aap Chauk Jayenge
भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहां जाता है भगवान शिव के मंदिर भी उन्हीं की तरह चमत्कारी है और अद्भुत रहस्यो से भरे पड़े हैं । यहां होने वाली घटनाओं पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन यह सत्य है वैज्ञानिक भी इनका रहस्य नहीं सुलझा पाए हैं । आज हम आपको भगवान शिव के सबसे रहस्यमय मंदिरों के बारे में बताएंगे ।
Bijli Mahadev Temple
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Shiv Ke Sabse Rahsyamay Mandir |
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव, कुल्लू का पूरा इतिहास बिजली महादेव से जुड़ा हुआ है । कुल्लू शहर मैं व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है । पूरी कुल्लू घाटी में ऐसी मान्यता है कि यह घाटी ही एक विशालकाय सांप का रूप है इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था । जिस स्थान पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर हर 12 साल में भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ जोड़ देते हैं । कुछ ही माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है इस शिवलिंग पर हर 12 साल में बिजली क्यों गिरती है और इस जगह का नाम कुल्लू कैसे पड़ा, इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं कुल्लू घाटी के लोग बताते हैं कि बहुत साल पहले यहां कुलानतक नामक दैत्य रहता था । एक बार वह दैत्य अजगर का रूप धारण कर व्यास नदी के प्रवाह को रोककर इस जगह को पानी में डूबाना चाहता था, वह चाहता था यहां रहने वाले सभी जीव जंतु पानी में डूबकर मर जाए । भगवान शिव ने उसके कान में कहां तुम्हारी पूंछ में आग लग गई हैं इतना कहते ही जैसे कुलानतक पीछे मुड़ा तभी भगवान शिव ने कुलानतक के सर पर त्रिशूल से बार कर दिया, त्रिशूल के प्रहार से कुलानतक मारा गया । कुलानतक के मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया, उसका शरीर धरती के जितने हिस्से में फैला हुआ था उसका पुरा का पुरा शरीर पर्वत में बदल गया । कुलानतक दैत्य को मारने के बाद शिव जी ने इंद्र से कहां 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें, हर बारहवें साल यहां आकाशीय बिजली गिरती है । इस बिजली से यह शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है शिवलिंग के टुकड़े इकट्ठा कर मंदिर का पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर लेता है और कुछ समय के बाद वो अपने पुराने स्वरूप में आ जाता है । भगवान शिव नहीं चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो आम जनता को इससे कोई नुकसान पहुंचे, भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं इसलिए भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहां जाता है । भादो के महीने में यहां मेला सा लगा रहता है कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग 7 किलोमीटर है, शिवरात्रि पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है यह जगह समुद्र से 25 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । शीतकाल में यहां भारी बर्फबारी होती है दूर दूर से लोग बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं ।
Nishkalank Mahadev Temple
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Shiv Ke Sabse Rahsyamay Mandir |
गुजरात के भाव नगर में कुलयाग तट से 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है, निष्कलंक महादेव यहां पर अरब सागर की लहरें रोज शिवलिंगों का जलाभिषेक करती हैं । लोग पानी में पैदल चलकर ही इस मंदिर का दर्शन करने जाते हैं इसके लिए उन्हें ज्वार में उतरने का इंतजार करना पड़ता है । भारी ज्वार के वक्त केवल मंदिर की पताका और खम्भा ही नजर जाता है इसे देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि पानी के नीचे समुद्र में महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है । इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवो को मारकर युद्ध जीता, लेकिन युद्ध समाप्ति के बाद पांडवों को यह जानकर बड़ा दुख हुआ कि उन्हें अपने ही सगे संबंधियों की हत्या का पाप लगा है इस पाप से छुटकारा पाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण से मिले । पाप के लिए श्री कृष्ण ने पांडवों को एक काला ध्वज और काली गाय होती चौकी और पांडवों को गाय का अनुसरण करने को कहा और बताया जब तू लड़का है दोनों कारण काली सफेद हो जाए तो समझ लेना कि तुम्हें पाप से मुक्ति मिल गई है श्री कृष्ण ने कहा जहां ऐसा हो वहां तो भगवान से भी करना आज भाई भगवान शिव के कहे अनुसार काली त्वचा हाथ में लिए काली गाय का अनुसरण करने लगे कई जगह पर गए लेकिन और नहीं बदला लेकिन जब वर्तमान गुजरात में स्थित कॉल यार तट पर पहुंचे तो गाय और दूजा का रंग सफेद हो गया इससे पांचो पांडे भाई बहुत खुश हुए और वही पर भगवान शिव की तपस्या कर ध्यान करने लगे भगवान भोलेनाथ उनकी तो खुश हुए और पांचों पांडवों को लिंग रूप में अलग-अलग दर्शन दिए वही पांचों सीख ले अभी भी वही स्थित है आंखों के सामने नंदी की प्रतिमा भी है आज देख लेंगे एक बार का कार्ड चबूतरे पर बने हुए हैं यह कोरिया के समुद्र के तट से पूर्व की ओर 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है एक छोटा सा पानी का तालाब भी है जिसे पांडा तलाब कहते हैं श्रद्धा में पहले उसमें अपने हाथ मांग धोते हैं और फिर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं क्योंकि यहां पर आकर पांडु को अपने भाइयों की हत्या के कलंक से मुक्ति मिली थी इसलिए इसे कहते हैं भादो के महीने में अमावस का मेला लगता है पृथ्वी का ऑफिस किस मंदिर में भक्तों की विशेष भीड़ रहती है लोगों की ऐसी मान्यता है कि अगर हम अपने परिजनों की चिता की राख से मिला करते हैं तो उनको मिल जाता है मंदिर में भगवान शिव को राग दूध दही और नारियल चढ़ाया जाता ।
Achaleshwar Mahadev Temple
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Shiv Ke Sabse Rahsyamay Mandir |
राजस्थान के धौलपुर में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में धौलपुर जिला राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है इलाका चंबल और बड़ों के लिए प्रसिद्ध है इन्हीं पेड़ों के पीछे तो भगवान अचलेश्वर महादेव का मंदिर इस मंदिर में 100 दिन में तीन बार रंग बदलता है सुबह मैसेज नहीं करेंगे लाल होता है दोपहर में कैसे लिया जैसे शाम होती है शिवलिंग का रंग सांवला हो जाता है ऐसा क्यों होता है यह कोई नहीं जानता भगवान अचलेश्वर महादेव मंदिर हजारों साल पुराना है चौकिया मंदिर पेड़ों में स्थित है और यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही पथरीला और उबड़ खाबड़ है इसलिए पहले यहां बहुत कम लोग ही पहुंचते थे और जैसे भगवान के चमत्कार की खबरें लोगों तक पहुंच यहां पर भक्तों की भीड़ जुटने लगी इस लिंग की एक अनोखी बात तो यह है कि दिल्ली के चोर का आज तक पता नहीं चला कहते हैं जाने के लिए यह शिवलिंग जमीन पर कितना बड़ा है इसकी खुदाई की पर काफी गहराई तक पहुंचने के बाद भी उन्हें इसके चोर का पता नहीं चला अंत में भगवान का चमत्कार मानते हो खुदा ही बंद कर दी ।
Lakshmeshwar Mahadev Temple
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर सरोज नगर में स्थित है लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर लक्ष्मेश्वर महादेव की स्थापना से जुड़ी एक किवदंती प्रचलित है जिसके बाद भगवान राम ने खर और दूषण के वध के पश्चात अपने भाई लक्ष्मण के कहने पर इस मंदिर की स्थापना की थी लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ में 1 से मिलेंगे जिसके बारे में मान्यता है इसकी स्थापना से लक्ष्मण ने की थी 1 लाख क्षेत्र है इसलिए इसे लक्ष्य नहीं कहा जाता है इला को सुरक्षित रहता है क्योंकि उसमें जितना भी जाए डालो बहन साहब उसमें समा जाता है लेकिन एक चित्र अच्छे कुंड है क्योंकि उसमें हमेशा भरा ही रहता है लक्ष्य लिंग पर चढ़ाया गया जेल के पीछे स्थित कुंड में चले जाने की बीमार नेता है क्योंकि कुंड कभी झुकता नहीं लगती जमीन से करीब 30 सीटों पर है और इसे माना जाता है ।
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