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Naina Devi Mandir Ka Rahasya |
Naina Devi Mandir Ka Rahasya Jisse Dekhne Ke Bad Aap Hairan Rah Jayenge
आज हम आपको नैना देवी मंदिर के रहस्य के बारे में अद्भुत और आश्चर्यजनक बातों को बताएंगे । यह हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है और 51 शक्तिपीठों में प्रसिद्ध है । हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे थे वहां वहां शक्तिपीठ बन गए यह पीठ अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये, यह तीर्थ पूरे भारत में फैले हुए है । हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे धार्मिक स्थल है जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है इनमें से ही एक जगह है माता नैना देवी मंदिर, नैना देवी मंदिर शिवालिक पर्वत श्रेणियों की पहाड़ियों पर स्थित एक भव्य मंदिर है । जब आप इस मंदिर में जाएंगे तब आपको यहां स्थित पीपल का पेड़ दिखेगा जो यहां के आकर्षण का केंद्र है जो कि अनेकों शताब्दी पुराना है । मंदिर के मुख्य द्वार के दाई और भगवान गणेश और हनुमान जी की मूर्ति है मुख्य द्वार पार करने पर आपको दो शेर की प्रतिमाएं दिखेंगी, मंदिर के गर्भ गृह में मुख्य तीन मूर्तियां मौजूद है दाई तरफ माता काली की, मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान गणेश की प्रतिमा है । यहां आपको पास ही में पवित्र जल का तालाब मिलेगा जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है ।
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Naina Devi Mandir Ka Rahasya |
मंदिर के समीप में एक गुफा मौजूद है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है । पूरे भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है जिनमें सभी की उत्पत्ति की एक ही कथा है यह सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हैं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन सभी स्थलों पर माता सती के अंग गिरे थे । प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पिता दक्ष के यज्ञ में पति का अपमान होने पर माता सती ने स्वयं को उसी यज्ञ में भस्म कर लिया था, इसके बाद शिवजी अपना आपा खो बैठे तथा माता सती के देह को लेकर इधर उधर भटकने लगे । सभी देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु से इस समस्या का समाधान करने को कहां, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के 51 टुकड़े कर दिए । उसके बाद जहां जहां माता के शरीर का हिस्सा गिरा वहां वहां शक्तिपीठ बन गए । नैना देवी का नाम भी माता के 51 शक्तिपीठों में आता है कथा के अनुसार यहां माता सती के दोनों नेत्र गिरे थे ।
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Naina Devi Mandir Ka Rahasya |
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर शक्तिपीठ होने की जानकारी सबसे पहले एक गुजर लड़के को हुई थी, जो हर दिन यहां गाय चराने आता था । उसने देखा कि एक गाय हर दिन नियम से एक स्थान पर जाकर खड़ी हो जाती है और उसके स्तन से दूध की धारा बहने लगती है कई दिनों तक ऐसा होता रहा । तब नैना देवी ने उस गुजर लड़के को सपने में दर्शन दिए और कहां जहां आकर गाय के स्तन से दूध की धारा बहने लगती है वहां मेरे पिंड है मैं नैना देवी हूं । गुर्जर लड़के ने यह बात उस समय के राजा वीर चन्द्र को बताई, लड़के की बात सुनकर महाराज खुद उस स्थान पर गए और अद्भुत नजारा देखकर आश्चर्य में पड़ गए । राजा वीर चंद ने नैना देवी का मंदिर बनवाया, नैना देवी मंदिर में नवरात्रों का त्यौहार बड़े धूमधाम से बनाया जाता है । वर्ष में आने वाले दोनों नवरात्रों में यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है देश के कोने कोने से आकर श्रद्धालु माता नैना देवी की कृपा प्राप्त करते हैं । माता को भोग में 56 प्रकार की वस्तुओं का भोग लगाया जाता है । कहते हैं नैना देवी मंदिर जागृत है जो यहां आता है मां उसकी मुरादें जरूर पूरा करती है ।
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