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Amarnath Gufa Ka Rahasya |
Amarnath Gufa Ka Rahasya Jankar Aapko Yakin Nahin Hoga
2021 की अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू होगी । अमरनाथ हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है अमरनाथ गुफा बहुत ज्यादा प्राचीन है और अद्भुत रहस्यों से भरी पड़ी है । यह शिव जी के सभी तीर्थ स्थलों में से प्रमुख तीर्थ स्थल है । यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तरी पूर्व में 135 किलोमीटर दूर, समुद्र तल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है । इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है यह गुफा 11 मीटर ऊंची है । बहुत कम लोग ही जानते हैं अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहां जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था ।
अमरनाथ गुफा की खोज
कहां जाता है इस गुफा की खोज बूटा मलिक नामक मुसलमान गडरिये ने की थी । जब वह पशु चराने गया तो उसकी भेंट एक साधु से हुई उस साधु ने उसे कोयले से भरा थैला दिया, जब वह घर पहुंचा तो वह कोयला सोने में बदल गया । जब वह साधु का धन्यवाद करने दोबारा वहां पहुंचा तो वहां उसने साधु को ना पाकर इस विशाल गुफा को पाया । इसी गुफा में माता पार्वती को भगवान शिव ने अमर कथा सुनाई थी ।
अमरनाथ कबूतरों की कहानी
गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतर का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें श्रद्धालु अमर पक्षी बताते हैं वह भी अमर कथा सुनकर अमर हुए थे, ऐसी मान्यता भी है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतर का जोड़ा दिखाई देता है उन्हें शिव पार्वती साक्षात रूप में दर्शन देते हैं । भगवान शिव जी ने माता पार्वती जी को कथा सुनाई थी, जिसमें अमरनाथ की यात्रा के मार्ग में आने वाले अनेक स्थानों का वर्णन था ।
अमरनाथ शिवलिंग का बनना
यहां की प्रमुख विशेषता गुफा में है कि यहां पर बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं । इसके आस-पास बहुत कच्ची बर्फ जमती है फिर भी यहां लगभग 10 फुट लंबा शिवलिंग बनता है । यह शिवलिंग भोलेनाथ का साक्षात रूप है सभी श्रद्धालु इसी के दर्शन हेतु अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं ।
अमरनाथ की कथा
अमरेश कथा के अनुसार जब देवताओं को मृत्यु का भय सताने लगा तो सभी ने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की तब भगवान भोलेनाथ ने अपने सिर से चंद्रमा को उतारकर निचोड़ दिया, जिससे अमृत की धारा प्रवाहित होने लगी । जिसकी कुछ बूंदे धरती पर आकर गिरी जो आज भी इस गुफा में धूल के कण के रूप में स्थित है तब भगवान भोलेनाथ ने देवों से कहां आपने मेरे बर्फ स्वरूप के दर्शन किए हैं अब आपको मृत्यु का कोई भय नहीं है तभी से भोलेनाथ अमरेश के नाम से जाने जाते हैं ।
अमरनाथ यात्रा के स्थान
कुछ विद्वानों का मानना है भगवान शंकर जब पार्वती जी को अमरकथा सुनाने ले जा रहे थे तब कोई अन्य जीव-जंतु इस कथा को ना सुन ले इसलिए उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनन्त नाग में छोड़ा, माथे के चंदन को चंदनवाड़ी में उतारा अन्य पिस्सुओं को पिस्सु टॉप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थान पर छोड़ा था यह तमाम स्थान अमरनाथ यात्रा में आते हैं । अमरावती नदी के रास्ते में आगे बढ़ते समय और भी कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती है वह सभी बर्फ से ढकी है ।
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