कोहिनूर हीरे का रहस्य | Mystery of Kohinoor Diamond in Hindi

 

Kohinoor Hira Ka Rahasya
Kohinoor Hira Ka Rahasya

Kohinoor Hira Ka Rahasya Aur Itihas


कोहिनूर दुनिया के बाकी हीरो से ज्यादा चमकदार होता है । आज कोहिनूर का हीरा अंग्रेजों के पास है लेकिन इस हीरे ने बहुत से शासक और मालिकों को देखा है । देवी के मंदिर से चुराए हुए इस हीरे ने बहुत कुछ देखा है कहां जाता है इस हीरे पर इसी देवी का शाप है जिसने कई बड़े-बड़े साम्राज्यों को नष्ट कर दिया । कोहिनूर हीरे के इतिहास के बारे में बात करें तो कहां जाता है सबसे पहले लगभग 14 वी शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी ने इसे दक्षिण भारत से चुराया था, उस समय यह हीरा एक मंदिर में देवी की आंखों में लगा हुआ था । जब से इस हीरे की चोरी की गई तब से जो भी इसके पास गया उसने अपना सब कुछ गवा दिया । खिलजी के बाद यह हीरा बाबर को दिल्ली फतह करने पर तोहफे के रूप में दिया गया, जिस वजह से यह मुगलों के हाथ लगा । शाहजहां ने कोहिनूर के इस हीरे को अपने पास रखा और फिर शाहजहां को बंदी बनाने के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने हीरे को ले लिया । इस बीच हीरे को और ज्यादा सुंदर बनाने के लिए औरंगजेब ने ऑटोन वोर्जिया को बुलवाया जिससे वह हीरे को काटकर और ज्यादा चमकदार बना सकें । वोर्जिया ने 793 कैरेट के हीरो को इस प्रकार से काटा कि उसका वजन केवल 186 कैरेट रह गया यह सब देखकर औरंगजेब इतना नाराज हुआ कि उसने वोर्जिया को इस काम के पैसे देने से मना कर दिया, साथ ही उस पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया । लेकिन 186 कैरेट का यह हीरा अब भी बेशकीमती था, आने वाले कई सालों तक यह मुगलों की शान रहा । फिर 1739 में दिल्ली पर नादिर शाह का हमला हुआ और नादिर शाह ने दिल्ली पर आतंक मचा दिया, उस समय के शासक ने नादिर शाह से गिड़गिड़ाकर युद्ध रोकने को कहां था । तब नादिर शाह ने बदले में सुल्तान से 100 करोड रुपए मांगे थे अब मुगलों की सारी संपत्ति नादिर शाह के नाम हो गई थी । इस लूट के सामान को भारत से ईरान ले जाने के लिए नादिरशाह को 700 हाथी, 4000 ऊंट और 17000 घोड़ों का सहारा लेना पड़ा था । उसके बाद नादिर शाह की भी हत्या कर दी गई उसका साम्राज्य पूरी तरह से बिखर गया, जिसके बाद कोहिनूर नादिरशाह के पोते को मिला जिसने कोहिनूर को अफगान एंपायर की स्थापना करने वाले अहमद शाह दुर्रानी को दे दिया था । लेकिन हीरा मिलने के बाद अफगानिस्तान पर रशियन एंपायर द्वारा हमला किया गया और अहमद शाह दुर्रानी के पोते सुजा शाह दुर्रानी हुई इसमें हार हुई । फिर वह हीरा लेकर लाहौर चले गए जहां उन्होंने पंजाब के राजा रणजीत सिंह की मदद की मांग की, रंजीत सिंह की मदद को देखकर दुर्रानी ने यह हीरा उन्हें तोहफे में दे दिया । रंजीत सिंह ने हीरे के बदले दुर्रानी को 1 लाख 25 हजार रुपए दे दिए, इस प्रकार भारत का हीरा फिर से भारत में ही आ गया था । रणजीत सिंह को यह डर था कि कोहिनूर को कोई चुरा ना ले इसलिए वह हीरे को गोविंद नगर के किले में छुपा कर रखते थे और तभी निकालते थे जब कोई समारोह होता था । इस हीरे को एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए रणजीत सिंह सुरक्षा का खास ध्यान रखते थे । फिर 1839 में जब रणजीत सिंह का अंतिम समय करीब आया तो मरते समय उन्होंने यह हीरा पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दान करने का आदेश दिया । परंतु रंजीत सिंह की मौत के बाद उनके अध्यक्ष बेलीराम ने यह हीरा मंदिर को नहीं दिया और अपने संदूक में छुपा दिया । लेकिन रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद सिख साम्राज्य पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा पहले पंजाब को कश्मीर से अलग कर दिया गया और फिर अंग्रेजों ने अपना कब्जा किया तो उन्होंने पंजाब को कब्जे में लेकर हीरा ले लिया । फिर ईस्ट इंडिया कंपनी ने हीरे को लंदन भेज दिया लेकिन लंदन जाते ही हीरे का शाप फिर से सामने आ गया । जिस जहाज में हीरे को ले जाया जा रहा था उसमें लोग महामारी का शिकार हो गए जिससे वह बीमार हो गए । जैसे ही जहाज मॉरीशस पहुंचा और लोगों को इस बारे में पता लगा तो उन्होंने इस जहाज को यहां आने से मना कर दिया, यह धमकी भी दी यह जहाज आसपास दिखा तो तोप से उड़ा दिया जाएगा । फिर जहाज के लोगों को तूफान का कहर भी झेलना पड़ा, जैसे तैसे वह ब्रिटेन पहुंचे यहां पहुंचते ही महारानी विक्टोरिया पर हमला हो गया और ब्रिटिश प्रधानमंत्री घोड़े से गिर गए और फिर घोड़ा उनके ऊपर चढ़ गया, जिस कारण से उनकी मौत हो गई । जब इस हीरे को लोगों को दिखाने के लिए प्रदर्शनी में रखा गया तो लोगों की शिकायत थी कि हीरे की चमक अच्छी नहीं है । उसके बाद दोबारा महारानी ने हीरे को कटवाया जिसके बाद हीरे का वजन घटकर 105 कैरेट हो गया था । उसके बाद भी महारानी ने उसे काफी वक्त तक नहीं पहना क्योंकि हीरे को देखकर उन्हें अजीब महसूस होता था ब्रिटिश के राजाओं ने इस हीरो को पहनने की कोशिश की उन्हें इसके इतिहास से यह पता लग गया था कि यह हीरा शापित है जो भी राजा इसे रखने की कोशिश करता है उसका साम्राज्य नष्ट हो जाता है । इसलिए इसे ब्रिटेन की रानी को वापस कर दिया गया फिर सालों साल ब्रिटेन की महारानी इसे पहनती रही और आज भी यह हीरा ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के पास है । भारत ने कोहिनूर के ऊपर कई बार हक जमाने और वापस लाने के प्रयास किए लेकिन अब भी यह हीरा ब्रिटिशयस की शान बना हुआ है । 


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