घर में मंदिर कैसे बनाते हैं? जान ले सही तरीका, घर में रहेगी सुख शांति | Vastu Tips in Hindi

  

Ghar Mein Mandir Kaise Banate Hain
Ghar Mein Mandir Kaise Banate Hain

Ghar Mein Mandir Kaise Banate Hain Jan Le Sahi Tarika Ghar Mein Rahegi Sukh Shanti 

हिंदू धर्म में घर में मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि यह घर की आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता को बढ़ाने का माध्यम है। घर का मंदिर वह स्थान होता है जहां परिवार के सदस्य भगवान की पूजा और आराधना करते हैं। इसे सही तरीके से बनाना और स्थापित करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि वास्तुशास्त्र के अनुसार भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

मंदिर बनाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें

घर में मंदिर बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

स्थान का चयन:

मंदिर के लिए घर में उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। इसे देवताओं की दिशा माना गया है।

यदि यह संभव न हो, तो पूरब या उत्तर दिशा में भी मंदिर बनाया जा सकता है।

बाथरूम, रसोई, या शयनकक्ष में मंदिर बनाने से बचें। यदि शयनकक्ष में बनाना हो, तो इसे पर्दे से ढककर रखें।

सामग्री का चयन:

मंदिर लकड़ी, संगमरमर या पत्थर का होना चाहिए। लकड़ी के मंदिर में वास्तु दोष को कम करने की क्षमता होती है।

प्लास्टिक या धातु के मंदिर का उपयोग न करें, क्योंकि यह धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं माना जाता।

आकार और ऊंचाई:

मंदिर का आकार ज्यादा बड़ा या ज्यादा छोटा नहीं होना चाहिए।

मूर्तियों को ऐसी ऊंचाई पर रखें, जहां वे आपकी छाती या आंखों के स्तर पर हों।

भगवान की मूर्तियां दीवार के ठीक सामने नहीं लगाई जानी चाहिए, उनके पीछे थोड़ा खाली स्थान होना चाहिए।

मूर्तियों का चयन:

मंदिर में एक ही भगवान की एक ही प्रकार की मूर्ति रखें।

खंडित या टूटी हुई मूर्तियों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

मूर्तियां ऐसी होनी चाहिए जो सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हों।

दीप और धूपदान:

मंदिर में दीपक और अगरबत्ती जलाने का स्थान अवश्य होना चाहिए।

दीपक को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है।

मंदिर निर्माण की प्रक्रिया

1. सजावट और अलंकरण:

मंदिर को साफ-सुथरा और सुंदर बनाना चाहिए। इसमें हल्के रंग जैसे सफेद, क्रीम, या हल्का पीला उपयोग करें। मंदिर में तोरण, फूलों की माला, और रंगीन कपड़े से सजावट करें।

2. पंच तत्वों का संतुलन:

हिंदू धर्म में पंच तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

पृथ्वी: मंदिर में उपयोग की गई सामग्री (जैसे लकड़ी या पत्थर) को प्राकृतिक रखना चाहिए।

जल: मंदिर में जल कलश या गंगाजल रखें।

अग्नि: दीपक और धूप से अग्नि तत्व का संतुलन करें।

वायु: अगरबत्ती या धूप जलाने से वायु का संतुलन होता है।

आकाश: मंदिर के ऊपर स्थान खुला और हवादार होना चाहिए।

3. भगवान की मूर्तियों का स्थान:

भगवान गणेश को मंदिर में सबसे पहले स्थापित करें क्योंकि वे विघ्नहर्ता माने जाते हैं।

भगवान विष्णु, लक्ष्मी, और शिव को बीच में रखें।

देवी सरस्वती और अन्य देवियों को बाईं ओर स्थापित करें।

हनुमान जी की मूर्ति को दक्षिण दिशा में मुख के साथ रखें।

4. प्रदोष पूजा और अभिषेक:

मंदिर में समय-समय पर अभिषेक करना आवश्यक है। अभिषेक में दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी का उपयोग किया जाता है।

5. आरती और भजन:

मंदिर में सुबह और शाम नियमित रूप से आरती और भजन करें। यह घर के वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है।

घंटी बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर के नियम

मंदिर के दरवाजे:

मंदिर का दरवाजा खुला और हवादार होना चाहिए। यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बनाए रखता है।

मुख्य द्वार का स्थान:

मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

सूरज की रोशनी:

मंदिर ऐसी जगह पर बनाएं जहां सूर्य की रोशनी आसानी से पहुंच सके।

पर्दा:

मूर्तियों को ढकने के लिए पर्दे का उपयोग करें, खासकर जब पूजा न हो रही हो। यह मूर्तियों की पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है।

मंदिर के ऊपर स्टोर या बाथरूम न बनाएं:

वास्तु के अनुसार, मंदिर के ऊपर कोई भारी सामान रखने से बचें।

घर के मंदिर में पूजा के लिए आवश्यक वस्तुएं

घर के मंदिर में पूजा के लिए निम्नलिखित वस्तुएं आवश्यक होती हैं:

भगवान की मूर्तियां या चित्र।

जल कलश और चांदी या तांबे के बर्तन।

पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)।

दीपक और अगरबत्ती।

फूलों की माला और ताजे फूल।

पूजा के लिए लाल या सफेद वस्त्र।

चंदन, रोली, कुमकुम, और अक्षत।

प्रसाद, जैसे मिठाई या फल।

धार्मिक ग्रंथ जैसे भगवद गीता, रामायण, या कोई अन्य ग्रंथ।

घर में मंदिर के फायदे

शांति और सकारात्मकता:

मंदिर घर में शांति और सकारात्मकता बनाए रखता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।

धार्मिक आस्था का केंद्र:

मंदिर परिवार के सभी सदस्यों को एकजुट रखता है और धार्मिक आस्था को मजबूत करता है।

सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह:

सही दिशा में और सही तरीके से बनाए गए मंदिर से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

नैतिक और आध्यात्मिक विकास:

नियमित पूजा और भजन से बच्चों और वयस्कों में नैतिकता और आध्यात्मिकता का विकास होता है।

निष्कर्ष

घर में मंदिर बनाना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो व्यक्ति को भगवान के प्रति भक्ति और आस्था में जोड़ती है। हिंदू धर्म के अनुसार, घर का मंदिर पवित्र स्थान है जहां न केवल पूजा की जाती है, बल्कि यह ध्यान, प्रार्थना, और आत्मिक शांति का माध्यम भी है। घर में मंदिर बनाते समय सही दिशा, स्थान, और वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करना जरूरी है। इससे घर में शांति, समृद्धि, और सौभाग्य आता है।

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