क्या अश्वत्थामा आज भी जिंदा है इस किले में Shocking facts about Ashwathama In Hindi

Ashwathama Aaj Bhi Jinda Hai
Ashwathama Aaj Bhi Jinda Hai

Kya Ashwathama Aaj Bhi Jinda Hai Is kile Mein Janne Ke Bad Aapko Bhi Yakin Nahin Hoga 

भारत में कई कहानियां प्रचलित हैं यह कहानियां अद्भुत रहस्यो से भरी पड़ी है जिनमें से कुछ पर यकीन करना बेहद मुश्किल है लेकिन कई कहानियां ऐसी है जो अपनी सच्चाई बयां करती है समय समय पर सत्य होने का सबूत देती रहती है । आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमय व्यक्ति के बारे में बताएंगे जो पिछले 5 हजार सालों से जीवित है और समय समय पर वह अपने होने का संकेत हमें देता रहता है । हमारे हिंदू ग्रंथों में सात ऐसे महामानवो का जिक्र आता है जो आज भी अजर अमर है और आज भी धरती पर उपस्थित हैं अश्वथामा उन्हीं में से एक है । अश्वत्थामा आज भी जिंदा है मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर एक किला स्थित है जिसे असीरगढ़ का किला कहां जाता है इस किले के बारे में लोगों में मान्यता है कि इस किले में आज भी अश्वत्थामा आते हैं । ऐसा कहां जाता है कि असीरगढ़ के किले में एक ऐसा शिव मंदिर मौजूद है जहां अश्वत्थामा आज भी प्रत्येक दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने आते हैं । कहते हैं वह उतावली नदी में स्नान करने के बाद यहां पूजा करते हैं यहां पर आश्चर्य की बात तो यह है पहाड़ की चोटी पर बने किले में एक तालाब स्थित है जो तपती गर्मी में भी कभी नहीं सूखता । कहते हैं असीरगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश के हीं जबलपुर शहर के गोरी घाट के किनारे पर भी अश्वत्थामा को भटकते हुए देखा गया है वहां के कुछ स्थानीय निवासी ऐसे भी हैं जिन्होंने अश्वथामा को अपनी आंखों से देखने का दावा किया है ।
वह बताते हैं कि अश्वत्थामा के माथे से लगातार खून बहता रहता है जिसे रोकने के लिए वह लोगों से हल्दी और तेल की मांग भी करते हैं । उस गांव के कई बुजुर्गों का मानना है कि जो व्यक्ति एक बार अश्वत्थामा को देख लेता है उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है । हमारे वेदों के अनुसार अश्वत्थामा को उन अष्ट चिरंजीवीयो में से एक माना जाता है जो आज भी अमर है और इस धरती पर मौजूद है और समय समय पर अपनी मौजूदगी का एहसास हमें कराते रहते हैं लेकिन अगर यह सिर्फ मिथक है तो वो कौन है जो हर सुबह मंदिर का ताला खुलने के पहले ही शिवलिंग की पूजा करकर चला जाता है ।

Ashwathama Aaj Bhi Jinda Hai
Ashwathama Aaj Bhi Jinda Hai

हर दिन शिवलिंग पर ताजा फूल और जल चढ़ा मिलता है सूरज ढलने के बाद असीरगढ़ के इस किले में किसी को रुकने नहीं दिया जाता , सब जगह ताले लगा दिए जाते हैं पूरे किले को बंद कर दिया जाता है तो फिर वहां कोई कैसे आ सकता है यह तभी ही संभव है जब किसी के पास दिव्य शक्तियां हो । जिन लोगों ने अश्वत्थामा को देखा है उनका कहना है अश्वत्थामा किसी आम इंसान की तुलना में काफी बड़े हैं उनका कद काफी ऊंचा है शरीर पर गहरे जख्म है वह कोढ़ रोग से ग्रसित है उनके माथे से लगातार खून बहता रहता है । ऐसा कहां जाता है यह घाव महाभारत के समय के है । वह आज भी जंगलों में भटककर श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया शाप भुगत रहे है अश्वत्थामा के साथ ऐसा क्या हुआ जो वो आज भी जिंदा है भटक रहे हैं जब अश्वत्थामा का जन्म हुआ तब उनके गले से घोड़े की तरह हिन हिनाने जैसी आवाज निकली जिसके कारण इनका नाम अश्वथामा पड़ा । जन्म से ही अश्वत्थामा के माथे पर एक अमूल्यमणि विद्यमान था जो उन्हें दैत्य और देवताओं से निर्भीक रखता था ।

Ashwathama Aaj Bhi Jinda Hai
Ashwathama Aaj Bhi Jinda Hai

महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य की भांति कौरवों का साथ दिया , अश्वत्थामा एक वीर योद्धा था जिसने महाभारत के युद्ध में अपना पराक्रम दिखाया जिससे पाण्डव हारने लगे । गुरु द्रोण और बेटे अश्वत्थामा ने मिलकर पांडवों को परास्त कर ही दिया था तभी श्रीकृष्ण ने कपट नीति अपनाकर युधिष्ठिर से झूठ कहने को कहां सबके बीच यह बात फैला दी गई कि अश्वत्थामा मारा गया जबकि जो मारा गया था वो अश्वत्थामा हाथी था । युद्धीष्ठर से सत्यता की पुष्टि करने के लिए जब पूछा गया तब उन्होंने कहां अश्वत्थामा मारा गया परंतु हाथी लेकिन श्री कृष्ण के शंखनाद करने के कारण हाथी शब्द गुरु द्रोण नहीं सुन पाए और पुत्र शौक में उन्होंने अपने शस्त्र त्याग दिए , इस अवसर का फायदा उठाकर दृष्टितधूमन ने उनका सर काट दिया । जब अश्वत्थामा को इस कपट नीति का पता चला तो वह गुस्से में आग बबूला हो गया और उसने युद्ध में कपट नीति अपनाने की ठान ली और रात के अंधेरे में मौका पाकर द्रोपदी के पांचो पुत्रों का सोते समय बध कर दिया ।
जब अर्जुन क्रोध में आकर अश्वत्थामा का पीछा करने लगा तो अश्वत्थामा ने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया , अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र छोड़ना तो जानता था लेकिन लौटाना नहीं इसलिए इसे रोकने के लिए अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र को अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर मोड़ दिया । अबोध बालकों और स्त्री की हत्या को अधर्म बताते हुए श्री कृष्ण ने क्रोध में आकर अश्वत्थामा के माथे पर लगा मणि निकाल लिया और कलयुग के अंत तक उन्हें पृथ्वी पर भटकने का शाप दे दिया । मणि निकल जाने से अश्वत्थामा की सारी शक्तियां चली गई कहते हैं तब से लेकर अब तक अश्वत्थामा के माथे से लगातार खून बह रहा है । उसके शरीर पर महाभारत युद्ध के घाव है जो अभी तक नहीं भरे है ना जाने अश्वत्थामा ने कितने ही कष्ट सहे हैं और कितने ही कष्ट सहने अभी बाकी है ।

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