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Khajuraho Mandir Ka Rahasya |
Khajuraho Mandir Ka Rahasya Aur Itihas
मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित खजुराहो के मंदिर अपनी शिल्प कला और अकल्पनीय मूर्तिकला के लिए पूरी दुनिया में विश्व प्रसिद्ध है । यह भारत के बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों का समूह है इन मंदिरों की दीवारों पर बनी कामोत्तेजक मूर्तियां यहां आने वाले पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है । हर साल इसे देखने हजारों देशी विदेशी पर्यटक आते हैं इन भव्य मूर्तियों को अपने कैमरे में कैद करते हैं और उनके बारे में जानकारी लेते हैं और चले जाते हैं । लेकिन चंदेल राजाओं द्वारा मंदिरों में बनवाए गए इन कामुक मूर्तियों का रहस्य आज भी बरकरार है । सवाल यह उठता है कि क्या वजह थी कि मंदिर जैसी पवित्र जगह पर इस तरह की मैथुनिक मूर्तियां बनाई गई है इसे बनाते वक्त धर्मगुरुओं ने इसका विरोध नहीं किया । क्या खजुराहो और कामसूत्र का कोई संबंध है आखिर कौन-कौन सी मुद्राओं की यहां पर मूर्तियां है जिसे लेकर कई जानकारों ने अलग-अलग तर्क दिए है तो आज हम आपको खजुराहो मंदिर के रहस्यों और इतिहास की जानकारी बताएंगे ।
खजुराहो मंदिर की मूर्तियां
खजुराहो आज एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है 1986 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरीटेज साइट के रूप में इसका नाम जोड़ दिया था । यहां पर हिंदू और जैन धर्म के मंदिरों का समूह है जो कि खजुराहो के समूह के नाम से प्रसिद्ध है इसमें 85 मंदिर आते हैं यह संख्या 25 तक कम हो गई है । खजुराहो में वह सभी मैथुनिक मूर्तियां दिखाई गई हैं जिनमें प्राचीन काल के लोग उनमुगध होकर करते हैं उन्हें ना तो ईश्वर का डर था और ना हीं धर्मों की नैतिकता का । हालांकि रखरखाव ना होने के कारण जहां यह मूर्तियां नष्ट हो रही है वही इन मूर्तियों की चोरी की खबरें भी लगातार आ रही है । आपको बता दें सबसे प्राचीन और भव्य मंदिरों में से एक खजुराहो के मंदिरों की दीवारों पर बनी कामुक कलाकृतियां, प्राचीन भारत की अनूठी परंपराओं और अनोखी कलाओं को दिखाती है । भारतीय मुगल कला की मिसाल माने जाने वाले खजुराहो के इस अद्भुत मंदिरों की कलाकृतियों के भाव असली लगते हैं इसे देखकर ऐसा लगता है मानो यहां की मूर्तियां कुछ कह रही हो । इस प्रसिद्ध मंदिर की मूर्तिकला की तारीफ विश्व के कई बड़े-बड़े मुर्तिकारो और कलाकारों ने भी की है । वही इन मूर्तियों पर बने स्त्री और पुरुष के चेहरे पर अलौकिक भाव दिखाई देते हैं इन मूर्तियों के जरीए कामुकता को अध्यात्मिकता से जोड़ने की कोशिश की गई है । आपको बता दें इस ऐतिहासिक खजुराहो के मंदिर में ज्यादातर मूर्तियां रेड सैंड स्टोन का इस्तेमाल करकर बनाई गई है जबकि कुछ मूर्तियों के निर्माण में ग्रेनाइट के पत्थरों का भी इस्तेमाल किया गया है ।
खजुराहो मंदिर का इतिहास
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 से 1050 ईसवी के बीच चंदेल वंश के शासक चंद्र बर्मन ने करवाया था । मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो का इतिहास काफी पुराना है खजुराहो का नाम खजुराहो इसलिए पड़ा क्योंकि जिस समय इस मंदिर का निर्माण हुआ था उस समय यहां खजूर के पेड़ों का विशाल बगीचा हुआ करता था जिस वजह से इसका नाम खजुराहो रखा गया । पहले तो लोग इसे खजूर वाहिका के नाम से जानते थे लेकिन धीरे-धीरे इसका नाम खजूर वाहिका से खजुराहो पड़ गया जैसे-जैसे चंदेला शासन की ताकत का विस्तार हुआ उनकी साम्राज्य को बुंदेलखंड का नाम दे दिया गया । फिर उन्होंने खजुराहो के इन भव्य मंदिरों का निर्माण कार्य शुरू किया, इन मंदिरों के निर्माण में काफी लंबा वक्त लग गया था । इन मंदिरों के निर्माण से पहले चंदेला शासन की राजधानी खजुराहो ही थी लेकिन इन प्रसिद्ध मंदिरों के निर्माण के बाद चंदेला के शासकों ने अपनी राजधानी को बदलकर उत्तर प्रदेश में स्थित महुवा कर लिया । अधिकतर धर्मों ने इन नगन मूर्तियों का विरोध कर इसका तिरस्कार ही किया जिसके चलते कई सारे धर्म युद्ध भी हुए । खजुराहो के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि काम कला के आसनों में दर्शाए गए स्त्री पुरुषो के चेहरे पर एक अलौकिक और देवीय आनन्द की चमक झलकती है इस नग्न मैथुन की मूर्तियों को देखकर आपको जरा भी अश्लीलता का आभास नहीं होगा और ना ही यह आपको कहीं से भी जरा सी भी गन्दी लगेंगी । नग्न मैथुन की मूर्तियों को देखकर कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि इसमें कुछ बुरा है बल्कि इन मूर्तियों को देखकर शांति और पवित्रता महसूस होती है जो कि बड़ी हैरानी की बात है । यह मूर्तियां उन शिल्पकारो के द्वारा बनाई गई थी जिन्होंने आध्यात्मिक सम्भोग को अनुभव किया, यह मंदिर और इनका मूर्ति शिल्प भारतीय स्थापत्य और कला की अनोखी धरोहर है । इस मंदिरों की इस शिल्प प्राचीनतम और भव्यता को देखते हुए इन्हें विश्व धरोहर में शामिल किया गया है । कामसूत्र में वर्णित अष्ट मैथुन का जीता जागता कलाकृत्य खजुराहो के मंदिरों पर दिखाई देता है । खजुराहो में नंदी मंदिर, सूर्य मंदिर, पार्वती मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, देवी जगदंबा मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, कंदरिया मंदिर जैसे 22 मंदिरों का समूह है ।
खजुराहो मंदिर के बारे में विद्वानों का मानना
कुछ शोधकर्ता यह मानते हैं कि प्राचीन काल के राजा महाराजा काफी उत्तेजित रहते थे और सम्भोग में अधिक लिप्त रहते थे इसी कारण से कामुक मूर्तियां बनवाई गई है ।
कुछ समुदाय के विश्लेषकों का कहना है कि खजुराहो की मूर्तियों का निर्माण प्राचीन काल में सम्भोग शिक्षा देने के लिए करवाया गया था उनमें ऐसा माना जाता था कि इन अद्भुत कलाकृतियों को देखकर लोगों को सम्भोग की सही शिक्षा मिलेगी और हर एक लोगों तक यह शिक्षा पहुंचाने के लिए ही इन्हें मंदिर में बनवाया गया ।
हालांकि इस मंदिर में बनी कामुक कलाकृतियों को लेकर इतिहासकारों और विद्वानों के अपने-अपने विचार है कुछ लोगों के मुताबिक यह मूर्तियां मध्यकालीन समाज की नैतिकता को दर्शाते हैं तो कुछ लोगों का मानना है कि यह कलाकृतियां कामशास्त्रो के पुराणिक रचनात्मक आसनों का प्रदर्शन करते हैं ।
विश्लेषक यह बताते हैं कि मोक्ष के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है धर्म, अर्थ, योग और काम । काम को ध्यान में रखते हुए इन नग्न मूर्तियों का निर्माण करवाया गया ।
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