ब्रह्मराक्षस की सच्ची कहानी | Brahmarakshas Real Story In Hindi

 

Brahmarakshas Ki Sachi Kahani
Brahmarakshas Ki Sachi Kahani

Brahmarakshas Ki Sachi Kahani Jankar Aapko Bhi Yakin Nahin Hoga


प्राचीन काल से हिंदू धर्म में यह बातें चली आ रही है जब किसी ब्राह्मण की मृत्यु होती है और वह बुरे काम करता है तो मरने के बाद में वह प्रेत आत्मा ब्रह्मराक्षस बन जाती है । ब्रह्मराक्षस के पास पारलौकिक शक्तियां होती हैं जिससे वह हमारी दुनिया पर प्रभाव डालता है ब्रह्मराक्षस इंसानों से दूर रहते हैं और पीपल के पेड़ पर निवास करते हैं । अगर किसी व्यक्ति के पास ज्ञान है और वह ब्राह्मण नहीं है तब भी वह ब्रह्मराक्षस बन जाता है । क्योंकि ब्राह्मण पीपल की पूजा करते हैं पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाते हैं इसलिए ब्रह्मराक्षस पीपल पर निवास करते हैं । अगर पीपल के पेड़ पर किसी मंदिर का निर्माण होता है तो यह देखा जाता है कि आसपास कोई ब्रह्मराक्षस तो नहीं है क्योंकि ब्रह्मराक्षस किसी मंदिर को बनाने नहीं देता है । इसलिए पीपल के पेड़ के नीचे छोटे से मंदिर का निर्माण करना पड़ता है जिससे ब्रह्मराक्षस मंदिर से जुड़ जाता है फिर वहां पर बड़े मंदिर का निर्माण होता है । ब्रह्मराक्षस बिना बात के किसी को परेशान नहीं करते हैं यह पता ही नहीं चल पाता है कि यहां पर ब्रह्मराक्षस है भी या नहीं । लेकिन अगर कोई इस पीपल के पेड़ को काटना चाहता है तो ब्रह्मराक्षस सामने आते हैं उसे डराने की कोशिश करते हैं उस व्यक्ति के जीवन में परेशानी आने लगते हैं । ब्रह्मराक्षस किसी से नाराज हो जाए तो बहुत ज्यादा कष्ट देता है लेकिन अगर किसी व्यक्ति पर खुश हो जाए तो उसको ऐसी चीजें दे सकता है जो उसने सोची भी नहीं होगी, ब्रह्मराक्षस बीमारियों को भी ठीक कर सकते हैं । एक बार की बात है मध्य प्रदेश में एक नया गांव बना था जहां पर कोई मंदिर नहीं था । कुछ लोग नदी के किनारे रहते थे क्योंकि वहां पर फसल अच्छी हो रही थी, लेकिन उस गांव में कोई मंदिर नहीं था । उन्हें मंदिर जाने के लिए पास के गांव में जाना पड़ता था, उस गांव में एक ब्राह्मण था जो अपने घर में छोटा सा मंदिर बनाकर रहता था । उसको मंदिर बनाने का कार्य सौपा गया, वहां पर कई पीपल के पेड़ लगे हुए थे । उन्हें पता ही नहीं था उनमें से एक पीपल के पेड़ पर ब्रह्मराक्षस रहता था, उन्होंने कई पेड़ काटे फिर भी जगह कम पड़ गई । फिर उन्होंने एक और पीपल के पेड़ को काटने का निश्चय किया, लेकिन उस पेड़ पर ब्रह्मराक्षस निवास करता था । वहां पेड़ काटने वाले लोग बीमार होने लगे वह जैसे ही थोड़ा पेड़ काटते उन्हें उल्टी-दस्त होने लगे जिससे परेशान होकर वह काम छोड़कर चले गए । फिर गांव वालों ने मिलकर इस काम को करने का सोचा, वह लोग कुलहड़ियां और आरी लेकर पेड़ को काटने की कोशिश करने लगे । वह लोग भी बीमार पड़ने लगे, जैसे ही उस पीपल के पेड़ पर कोई कट लगाता वह बेहोश हो जाता । फिर उन्होंने उस ब्राह्मण से पूछा अब हमें क्या करना चाहिए, हमें मंदिर बनना चाहिए या नहीं । उसने कहां मंदिर निर्माण करते हैं अब वह कार्य ब्राह्मण को दिया गया था, तो उसने पीपल के पेड़ के नीचे हवन यज्ञ रख दिया । उसने कहां मैं 2 दिन तक यहां पर हवन यज्ञ करूंगा यह हवन यज्ञ इसलिए था कि बुरी शक्ति को यहां से भगाया जा सके । ब्राह्मण को यह पता नहीं था कि इस पीपल के पेड़ में ब्रह्मराक्षस निवास करता है । सुबह के समय उसने पूजा करनी शुरू की जैसे ही वह ब्राह्मण मंत्र पढ़ता उसकी जुबान फिसल जाती, वह बोलता कुछ था और बोला कुछ और जा रहा था । जिस कुंड में अग्नि जल रही थी वह भी बार-बार बुझ जाती थी, कभी वहां पर लकड़ी गिर जाती और कभी किसी पेड़ का तना गिर जाता । इस प्रकार बार-बार हवन में दिक्कत आ रही थी, उस ब्राह्मण को लगा शायद भगवान उससे खुश नहीं है लेकिन ऐसा नहीं था वह तो अच्छे कार्य करता था, घर में पूजा करता और बाहर भी लोगों की मदद करता था । फिर उसे लगा कोई साधारण प्रेत होगा जो इस पीपल के आस-पास रहता होगा, उसके निवारण के लिए वह उस पीपल के पेड़ पर लाल रंग का धागा बांधने लगा । उसे 7 बार चक्कर लगाकर धागे को बांधना था, एक बार धागा घूमाने से उसे चक्कर आ गया, वह मंत्र पढ़ते हुए कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार धागा टूट रहा था । अब ब्राह्मण गुस्से में आ गया उसे लगा यह प्रेत बहुत परेशान कर रहा है मुझे इसका निवारण करना पड़ेगा, अब उसने मंत्र पढ़ते हुए कुल्हाड़ी मारनी शुरू कर दी । जब पेड़ आधा कट गया तो वह थक गया उसने सोचा खाना खा लेता हूं, उसके बाद खाना खाते समय उसे मिर्ची लगी । जब उसने पानी पिया तो उसे उल्टी आनी शुरू हो गई, उसकी जुबान हल नहीं पा रही थी । फिर उसकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ने लगी फिर उसे गांव ले जाया गया, अगले दिन उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई और वह अजीब हरकतें कर रहा था । वह लोगों को गाली देने लगा, वह मंदिर की बात तो कर नहीं रहा था बल्कि लोगों से झगड़ा कर रहा था । कुछ दिन बाद उसने मांस-मछली खानी शुरू कर दी गांव के लोग उस ब्राह्मण को लेकर पास के गांव के मंदिर में ले गए । वहां जाने के बाद उन्हें पता चला इस पर ब्रह्मराक्षस का साया है वह पुजारी गांव पहुंचे उन्होंने वहां पेड़ देखा जो आधा कट चुका है । उन्हें पता चला इस पेड़ पर ब्रह्मराक्षस रहता है यह साधारण प्रेत नहीं है उन्हें पूजा भी नहीं करने देगा । फिर पुजारीयो ने मंत्र पढ़ने शुरू किए, बार-बार दिक्कत आ रही थी लेकिन वह दो पुजारी थे । इसलिए ब्रह्मराक्षस कुछ कर नहीं पा रहा था, इन पुजारी का सामना पहले भी ब्रह्मराक्षस से हो चुका था । जैसे-जैसे मंत्र उच्चारण होता गया वह ब्रह्मराक्षस शांत होता गया फिर उस पेड़ को नीचे से बांधा गया और वहां एक छोटा सा मंदिर बनाया गया । वहां पर दीपक जला दिया गया, फिर उस ब्राह्मण से ब्रह्मराक्षस का साया भी उतर गया । फिर वहां पर मंदिर का निर्माण हुआ, माना जाता है उसके बाद से वह ब्रह्मराक्षस उस गांव की रक्षा करने लगा। कई गांव वालों ने उसे देखा भी लेकिन वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता था । 


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