दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं | Seven Wonders Of The World In Hindi

 

Duniya Ke Saat Ajoobe
Duniya Ke Saat Ajoobe


Duniya Ke Saat Ajoobe Kaun Kaun Se Hain Unke Naam


क्या आप जानते हैं दुनिया के सात अजूबे कौन से हैं आज भी बहुत से लोग हैं जो इनके बारे में नहीं जानते हैं । इन अजूबों को चुनने का काम 2200 साल पहले से चला आ रहा है सबसे पहले इन्हें चुनने का विचार हेरोडोटस और कलीम जूस को आया था । पुराने समय में जो सात अजूबे थे वह अब नष्ट हो गए हैं उनमें से केवल ग्रेट पिरामिड ऑफ गीजा बचा हुआ है जिसे सात अजूबों से अलग एक विशेष स्थान दिया गया है । कई देश की इंजीनियर और शोधकर्ताओं ने मिलकर नए सात अजूबे खोज निकाले हैं । आज हम आपको दुनिया के सात अजूबों के बारे में बताएंगे ।


चीन की विशाल दीवार

चीन की विशाल दीवार दुनिया के सात अजूबों में से एक है यह दीवार एकमात्र ऐसा स्मारक है जिसे चंद्रमा से देखा जा सकता है । इसकी औसतन ऊंचाई 20 से 26 फीट है, ग्रेट वॉल ऑफ चाइना चीन के किंग वांगू शहर में शंघाई के बाहर स्थित है । क्या वाकई चीन की दीवार को अंतरिक्ष से देखा जा सकता है नासा का दावा है कि चीन की दीवार अंतरिक्ष से मुश्किल से ही दिखाई देती है इसे मानव नेत्र से देखना नामुमकिन है । चीन की दीवार विभिन्न राजवंशों द्वारा बनाई गई थी जिन्होंने चीनी साम्राज्य पर शासन किया । इसे मंगोलियाई आक्रमणकारियों को रोकने के लिए बनाया गया था विंग राजवंश के बाद कई चीनी शासकों ने इस दीवार का निर्माण किया । यह सिर्फ एक दीवार नहीं है बल्कि 21 दीवारों का संग्रह है जो कई मील की दूरी में फैली हुई है । यह मानव निर्मित किले की एक सबसे बड़ी श्रंखला है जिसे बनाने में लाखों मजदूरों की मेहनत लगी है । इसके निर्माण को 2000 सालों में पूर्ण किया गया यही कारण है कि यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है । यह दीवार 21196 किलोमीटर लंबी है और इसका प्रारंभिक बिंदु हुसान है और यह जुगनू अपन के पास समाप्त होता है ।


क्राइस्ट द रिडीमर

यह ब्राजील के रियोडी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है यह मूर्ति भारत में बनी सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति से भी बड़ी है । यह दुनिया के सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है यह मूर्ति तेजुका फॉरेस्ट नेशनल पार्क में कोको बोडू पर्वत की चोटी पर स्थित है । इस मूर्ति की ऊंचाई 130 फुट और चौड़ाई 98 फुट है इसका वजन लगभग 635 टन है । माना जाता है इसका निर्माण 1922 से 1931 के बीच किया गया था । मजबूत कंकड़ और सॉफ्ट स्टोन से बनी इस मूर्ति का डिजाइन ब्राजील के महान मूर्तिकार सिल्वर कोस्टा ने किया था फ्रांस के महान मूर्तिकार लैंड ऑक्सी ने इसे बनाकर तैयार किया था । इस मूर्ति को बनाने में $250000 खर्च हुए थे इस मूर्ति पर कोई पक्षी ना बैठे इसलिए इसके ऊपर छोटी छोटी किले लगाई गई है । इस मूर्ति को रात में अच्छा दिखने के लिए लाइटों से सजाया गया है जहां यह प्रतिमा बनी है वहां से पूरे शहर का बहुत अच्छा दृश्य दिखता है । ईसाई धर्म के प्रतीक रूप में यह प्रतिमा रियो और ब्राजील की बहुत बड़ी पहचान है इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा मिला हुआ है खुली वाहो के साथ क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा शांति का प्रतीक है ।


पेट्रा

जॉर्डन में स्थित पेट्रा शहर जिसे लॉस्ट सिटी भी कहते हैं । सन् 1820 में एक स्विस ट्रैवलर जिसका नाम जॉन लोधी बर्कहर्ट था उन्हें बचपन से ही घूमने का बहुत शौक था और वह कई बड़े बड़े शहरों की ट्रैवलिंग कर चुके थे । जब 1812 में वह जॉर्डन देश में ट्रैवलिंग कर रहे थे तो उन्होंने कुछ ऐसा खोज निकाला जिसको देखकर पूरी दुनिया के होश उड़ गए उन्होंने कोई छोटी मोटी चीज नहीं बल्कि पूरे शहर को खोज निकाला जिसका नाम पेट्रा रखा गया । यह भी माना जाता है कि कई हजार साल पहले इस पेट्रा में 30 हजार से भी ज्यादा लोग रहा करते थे उस टाइम में पेट्रा एक फेमस ट्रेडिंग सेंटर भी था इसका नाम पेट्रा इसलिए रखा गया है क्योंकि पेट्रा एक ग्रीक शब्द है जो पेट्रोस से आया हुआ है जिसका मतलब होता है रॉकस क्योंकि आप देखेंगे तो पेट्रा सिटी का मुख्य द्वार भी कई बड़े रॉक्स और सेंड स्टोन को काटकर बनाया गया है । जिसको था सीक भी कहां जाता है । अभी तक सिर्फ 15% पेट्रा ही खोजा गया है बाकी का 85% अभी तक रहस्य ही बना हुआ है । 1985 में पेट्रा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया है 2007 में पेट्रा को दुनिया के नए सात अजूबों का खिताब दिया गया है ।


ताजमहल

दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल प्यार की एक अनोखी शान है । मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में प्यार का एक स्मारक बनवाया था इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे इसे दूध से नहलाया गया हो । यह सफेद संगमरमर से बना है और उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित है । ऐसी अफवाह है की शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे क्योंकि शाहजहां चाहते थे कि दोबारा कोई ताजमहल जैसा स्मारक ना बना सके । लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मजदूरों से आजीवन काम ना करने का वादा लिया था और बदले में जीवनभर वेतन देने का वादा किया था । शाहजहां और बेगम मुमताज की कब्र ताजमहल के निचले मंजिल में है । यह दुनिया की सबसे ज्यादा देखे जाने वाली इमारत है यहां हर रोज 12000 से ज्यादा पर्यटक ताजमहल देखने आते हैं । ताजमहल कुतुब मीनार से ज्यादा ऊंचा है ताजमहल के बाहर पानी की झील के सभी फव्वारे एक साथ काम करते हैं । ताजमहल को बनाने के लिए 20000 से ज्यादा मजदूर लगाए गए थे इसको पूरा बनाने में 22 साल का वक्त लगा । ताजमहल का कार्य निर्माण सम 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा हुआ । इसको सन् 1983 में यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया था ।


चीचेन इट्ज़ा

चीचेन इट्जा मैक्सिको का प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध मायन मंदिर है जिसका निर्माण 600 ईसा पूर्व में हुआ था । यह मंदिर 5 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है यह मंदिर पिरामिड की आकृति का है जिसकी ऊंचाई 79 फीट है । इसके ऊपर जाने के लिए चारों ओर से सीढ़ियां बनाई गई हैं इसकी हर दिशा में 91 सीढ़ियां हैं इसमें कुल मिलाकर 365 सीढ़ियां हैं जो 1 साल के 365 दिन का प्रतीक है । चीचेन इट्ज़ा माया का सबसे बड़ा शहर है । यहां से निकलने वाली अजीब आवाजों के कारण यह प्रसिद्ध है । माना जाता है कि इसे कोलंबियाई माया सभ्यता ने इसे 9वी और 12वीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था । यह हर वर्ष 12 लाख से भी ज्यादा पर्यटक आते हैं । चीचेन इट्ज़ा को 1200 वर्ष पहले बसाया गया है जोकि 4 वर्ग मील में फैला हुआ है इसलिए यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है ।


माचू पिच्चू

दक्षिण अमेरिका के पेरू में माचू पिच्चू नाम का शहर था । यह एक शानदार ऐतिहासिक स्थल है यह स्थल समुद्र तल से 2430 मीटर की ऊंचाई पर बना है । यह एक पर्वत की चोटी पर स्थित है माचू पिच्चू की खूबसूरती देखकर आप यह जरूर कहेंगे कि इसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया जाना चाहिए । इस स्थल को 1983 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया था । इसे 7 जुलाई 2007 में दुनिया के सात अजूबों में सम्मिलित किया गया था । यह शहर 1911 में हीराम विग्गम द्वारा खोजा गया था यह इनका सभ्यता की कलाकृतियां देखी जा सकती हैं । इसे इनकाओ का खोया हुआ शहर भी कहां जाता है यह उरवाम्बा घाटी पर स्थित है । यहीं पर उरवाम्बा नदी भी बहती है इसे 1981 में पैरु का एक ऐतिहासिक देवालय भी घोषित किया गया था । इसके प्राथमिक भवनों में सूर्य का मंदिर और तीन खिड़कियों वाला कक्ष प्रमुख है । पुरातत्व के अनुसार यह भवन माचू पिच्चू के पवित्र जिले में स्थित है । 


कोलोसियम

द रोमन कोलोसियम इटली के रोम शहर में स्थित है जो रोमन साम्राज्य का सबसे बड़ा अखाड़ा है । इस स्टेडियम को कंक्रीट और रेत से बनाया गया है जिसमें लगभग 5000 लोग एक साथ बैठ सकते हैं । इसका निर्माण कार्य सम्राट टाइटिस 80वी शताब्दी में पूरा करवाया गया था । माना जाता है यहां केवल मनोरंजन के लिए योद्धाओं द्वारा पशुओं के साथ लड़ाइयां लड़ी जाती थी । इसमें 10 लाख से भी ज्यादा मनुष्य और 5 लाख से भी ज्यादा पशुओं की मृत्यु हो गई थी । विश्व के इस दार्शनिक और ऐतिहासिक स्थल को विश्व विरासत स्थल की सूची में यूनेस्को द्वारा शामिल किया गया था । यहां पर हर गुड फ्राइडे को जुलूस निकाले जाते हैं इस अखाड़े में कुश्ती देखने के लिए सबसे बड़ी सीट सम्राट की थी । यह दुनिया के सबसे अच्छे दार्शनिक स्थल में से एक है यहां हर वर्ष 40 लाख से भी ज्यादा पर्यटक घूमने के लिए आते हैं ।


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