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Moksh Kya Hai |
Moksh Kya Hai Aur Moksh Prapt Kaise Karen
सभी लोगों का जन्म एक उद्देश्य से होता है वह क्या है? देखिए मुख्य उद्देश्य तो ईश्वर की भक्ति है परंतु इसके अलावा भी एक उद्देश्य होता है जैसे-जैसे मनुष्य बड़ा होता है उसे उद्देश्य का पता चल जाता है । उद्देश्य पूर्ण होने के साथ ही मनुष्य की आयु भी निश्चित होती है उद्देश्य पूर्ण होता है आयु पूर्ण होती है हम ईश्वर में समा जाते हैं अर्थात् हमारी आत्मा अमर है उसे किसी भी प्रकार से मारा या हानि नहीं पहुंचाई जा सकती । इस जन्म के कर्म के अनुसार ही मनुष्य को अगला जन्म मिलता है इसलिए हमें अपने अमूल्य मानव जीवन में पाप कम तथा पुण्य ज्यादा करने चाहिए । हमें अपने जीवन काल में किए गए हमारे द्वारा बुरे कर्मों की सजा भी निश्चित रूप से इसी जन्म में ही भुगतनी पड़ती है । आज हम आपको बताएंगे मोक्ष क्या है और मोक्ष प्राप्त कैसे करें ।
मोक्ष क्या है
देखिए मोक्ष का अर्थ है जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना इसे भवसागर से पार होना भी कहते हैं । जब मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है तो उसकी आत्मा का मिलन परमात्मा से हो जाता है उसे बार-बार मनुष्य जीवन में जन्म नहीं लेना पड़ता है । यदि किसी कारण से उसे मनुष्य जीवन में जन्म लेना भी पड़ता है तो उसका जीवन सुख-समृद्धि से भरा होता है उसे किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होता है । मोक्ष इंसान को उसके पूर्व जन्म में अच्छे कर्मों की वजह से ही मिलता है इसलिए उसे मनुष्य जीवन में कोई परेशानी नहीं आती हैं ।
मोक्ष प्राप्त कैसे करें
ऐसा माना जाता है कि मनुष्य को कई लाख योनियों में जन्म (अलग-अलग तरह के जीव-जंतु के रूप में जन्म) लेना पड़ता है जिसके पश्चात हमें अमूल्य मनुष्य का जीवन प्राप्त होता है । इस मनुष्य जीवन में जो यह समझ ले तो इससे मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है और भवसागर यानी जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पा सकता है । फिर भी ना जाने लोग क्यों यह नहीं समझते और अपने रोज के कामों में व्यस्त रहते हैं रोजाना के कार्यों में व्यस्त रहकर भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है । हिंदू धर्म में चार धाम होते हैं परंतु इसके अलावा भी कुछ स्थान ऐसे हैं जिन्हें तीर्थ स्थानों का दर्जा दिया गया है (जैसे वैष्णो देवी और अमरनाथ) । हमारे कई ग्रंथ है जिसमें गीता को सर्वोच्च माना गया है इसके अलावा हिंदू धर्म में रामायण, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती जैसी कई पुस्तकें हैं जिन्हें अमूल्य स्थान दिया गया है । जिसमें हनुमान चालीसा को पूरे विश्व में सबसे शक्तिशाली पुस्तक माना जाता है । इनको पढ़ने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति के बारे में पता चलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
हमारे यहां चार धाम है जिनके बारे में यह माना जाता है कि उनके दर्शन कर लेने से मनुष्य को मोक्ष प्राप्त हो जाता है ।
मनुष्य के चार धाम निम्न प्रकार है
बद्रीनाथ
रामेश्वरम
क्या विज्ञान आत्मा को मानता है
कुछ लोगों ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि वह पहले कहां रहते थे उन्हें याद है और उन लोगों ने हमें वहां ले जाकर यह सिद्ध कर दिया है । हमारा शरीर तो नष्ट हो जाता है परन्तु हमारी आत्मा अजर-अमर है अब आप कहेंगे हम कैसे मान लें की आत्मा होती है या नहीं । यह देखने के लिए वैज्ञानिकों ने एक आदमी जिसकी हालत बहुत खराब थी उसे एक बॉक्स में बंद कर दिया और उसे सभी सुविधाएं दी परंतु वह मृत्यु को प्राप्त हो गया । उन लोगों ने बॉक्स को बंद कर दिया फिर उन्होंने देखा कि एक धुआ उस आदमी के ऊपर से निकला और शीशे को तोड़कर बाहर निकल गया जिससे यह सिद्ध होता है कि आत्मा होती हैं । ईश्वर के इतने चमत्कार होते हैं कि यह भी सिद्ध हो गया है कि ईश्वर होता है ।
मोक्ष के लिए जरूरी
वास्तव में मनुष्य को 16 संस्कारों से गुजरना पड़ता है जैसे मुंडन, विवाह इत्यादि । मनुष्य के जीवन यापन करने के लिए 40 वर्ष होते हैं जिसमें उसकी शिक्षा और विवाह आदि होते हैं । माना जाता है कि मनुष्य के सात जन्म होते हैं तभी तो शादी को सात जन्मों का साथ माना जाता है जो एक बार विधि पूर्वक किसी से शादी कर लेता हैं तो माना जाता है कि वह सात जन्मो तक पति-पत्नी रहेंगे । फिर 40 वर्ष के बाद उसका जीवन ईश्वर की भक्ति के लिए होता है । परंतु आज-कल तो सब भाग दौड़ में ही व्यस्त रहते हैं फिर भी समय बचाकर कीर्तन-भजन में जाना चाहिए और ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए । हम भाग दौड़ भरी जिंदगी में भी ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं 24 घंटों में से 24 मिनट तो उस ईश्वर को देने चाहिए । जो इनको जान लेता है वह इनकी उपासना में लग जाता है उन्हें प्राप्त करने की कोशिश करता है ।
मोक्ष का रास्ता ईश्वर से है
जिस ईश्वर की हम आराधना करते हैं भले ही वह थोड़ी देर से दे परंतु जो हम उनसे मांगते हैं वह हमें जरूर देते हैं । सच्चे लोगों की भगवान परीक्षा तो बहुत लेता है परंतु साथ नहीं छोड़ता बुरे लोगों को धन शोहरत देता तो बहुत है परंतु साथ छोड़ देता है । स्वर्ग का रास्ता ईश्वर से ही है हम यह भी जानते हैं कि बड़े के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए परंतु क्या कारण है? इसका कारण है हमारी सारी ऊर्जा हमारे पैरों में होती है यही कारण है कि ईश्वर के पैर छुए जाते हैं । हमारे मुख्य देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश है परंतु हमें उसकी पूजा-आराधना करनी चाहिए जो हमें पसंद हो । इंसान को मोह माया छोड़ कर ईश्वर की भक्ति में लगना चाहिए और भवसागर से मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए । सभी देवी-देवताओं की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं यह कहना गलत है कि कौन ज्यादा है और कौन कम ।
मोक्ष पर कर्म का असर
देखिए हम अच्छे कर्म करते हैं तो जब तक हमारे लिए नया शरीर नहीं ढूंढा जाता तब तक हम स्वर्ग में रहते हैं । स्वर्ग जहां हम जो चाहे वह मिलता है अर्थात इच्छा की पूर्ति होती है और यदि गलत कर्म करते हैं अर्थात हमारे पाप ज्यादा हैं तो हमें नर्क में स्थान प्राप्त होता है । देखिए इसमें भी दो अवस्थाएं होती हैं यदि हम भवसागर से पार ना होकर उसी में एक अच्छे जीवन की तलाश करते हैं तो हमारा अच्छा आचरण अर्थात पुण्य अधिक होना चाहिए । लेकिन आप अगर भवसागर यानी जन्म मरण के चक्र से मुक्ति चाहते हैं तो फिर वह ईश्वर की भक्ति से ही हो सकता है ।
जैसे हमारे कर्म, आचरण और विचार होते हैं दूसरों के प्रति प्रेम-भाव और बिना किसी को दुख दिए जीवन पर्यंत दूसरों के प्रति विनम्र व्यवहार बनाए रखना । अपना जीवन अच्छे से पूर्ण करते हुए भगवान और अन्य देवी देवताओं की आराधना करते हुए अपने जीवन चक्र को आगे बढ़ाते हैं । जब स्त्री या पुरुष की मृत्यु होती है तब उनका पुनः जन्म भी उनके द्वारा किए गए सतकर्मों के हिसाब से ही उन्हें किसी ऐसी गुणवान माता के गर्भ में भेजा जाता है जैसे वह खुद थे । इसके साथ ही उनके बच्चों तक को उनके द्वारा किए गए बुरे कर्म किसी ना किसी रूप में प्रभावित करते हैं ।
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2 टिप्पणियाँ
bohot hi sundar post h bohot sundar likha h
जवाब देंहटाएंbohot hi sundar likha h
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